श्रीमद्भगवद् गीता के 5 अनमोल वचन
श्रीमद्भगवद्गीता हमारे प्राचीन भारत के अध्यात्मिक ज्ञान को दर्शाता है। ऐसा कहा जाता है की शब्द भगवद का अर्थ है भगवान और गीता का गीत यानि की भगवान का गाया हुआ गीत।
महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन निराश असमंजस की स्थिति में दिखाई देते हैं तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें जो दिव्य ज्ञान दिया वह गीता के रूप में हमारे सामने है। भगवद गीता में कुल 700 संस्कृत छंद, 18 अध्यायों के भीतर निहित है जो की 3 बर्गों में विभाजित है, प्रत्येक में 6 अध्याय हैं।
इस जीवन में सफलता को पाने के लिए कर्म ही सबसे पहला और बड़ा रास्ता है। भगवद गीता में श्री कृष्ण प्रभु नें कर्म से जुड़ीं कुछ ऐसे अनमोल विचार और वचन को संसार के समक्ष रखा था, जो अगर मनुष्य अपने जीवन में अमल करे तो इस दुनिया की कोई शक्ति उसे किसी भी क्षेत्र में पराजित नहीं कर सकती।
तो आज हम उन्ही पांच अनमोल विचारों को आपके साथ साँझा करने जा रहे है। जिन पर अमल करके आप अपने जीवन को सफल बना सकते हैं
अनमोल विचार:
1. किसी दुसरे के जीवन के साथ पूर्ण रूप से जीने से बेहतर है की हम अपने स्वयं के भाग्य के अनुसार अपूर्ण जियें।
अर्थात हमें अपने जीवन में मेहनत करनी चाहिए दूसरों के जीवन की उन्नति और सफलता को भूला कर अपने जीवन से नकारात्मक विचारों को दूर कर अपने भाग्य को उज्जवल बनाना चाहिए।
2.एक उपहार तभी मूल्यवान और पवित्र है जब वह हृदय से किसी सही व्यक्ति को सही समय और सही जगह पर दिया जाये, और जब उपहार देने वाला व्यक्ति दिल में उस उपहार के बदले कुछ पाने की उम्मीद ना रखता हो।
हमें इस जीवन में जो भी करना चाहिए सोच समझ कर करना चाहिए, और सही समय पर करना चाहिए। हमें समय और दुसरे लोगों दोनों को सम्मान देना चाहिए और दिल खोल कर उनका मदद करना चाहिए। और हम जो भी उपहार या दान किसी को देते हैं तो उसके बदले में हमे उस व्यक्ति से कुछ पाने की उमीद नही रखनी चाहिए
3. जो भी मनुष्य अपने जीवन अध्यात्मिक ज्ञान के चरणों के लिए दृढ़ संकल्पों में स्थिर है, वह सामान रूप से संकटों के आक्रमण को सहन कर सकते हैं, और निश्चित रूप से यह व्यक्ति खुशियाँ और मुक्ति पाने का पात्र है।
अर्थात अगर आप अपने लक्ष्य को पाने के लिए दृढ़ सकल्प ले लेते हैं और दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं तो आपके रास्ते में जितने भी संकट/मुश्किलें आयें, आप उनको पार कर जायेंगे। और तभी आप अपने जीवन में खुशियाँ पाने के पात्र होंगे
4. भगवान या परमात्मा की शांति उनके साथ होती है जिसके मन और आत्मा में एकता/सामंजस्य हो, जो इच्छा और क्रोध से मुक्त हो, जो अपने स्वयं/खुद के आत्मा को सही मायने में जानते हों।
अर्थात सही मायने में जो मनुष्य क्रोध से मुक्त होता है, और जिसके मन में एक जूट होने की इच्छा होती है, वह सच्चा होता है, भगवान हमेंशा उसके साथ होते हैं और भगवान की कृपा सदैव उन पर बनी रहती है
5. तीन चीजों के लिए नरक ही सही जगह है: वासना, क्रोध और लोभ।
परमात्मा कहते हैं ! जो भी मनुष्य अपने जीवन में नफरत की भावना, लोभ मोह माया, वासना रखते है उनके लिए नरक ही सही जगह होता है।ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में कभी खुश नही रह पाते