Login |   Get your FREE Account
  Free Listing
शरीर में हैं सात चक्र

हमारे शरीर में सात चक्र हैं। मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा चक्र, सहस्रार चक्र। ये प्राणशक्ति के केंद्र हैं।

प्रत्येक व्यक्ति के शरीर मे सात चक्र विधमान होते है जिसे हम कुंडलिनी भी कहते है। सात चक्रों का संबंध सात ग्रहों से होता है। यह सात चक्र जब जाग्रत होते है तो व्यक्ति मोह, माया को त्याग कर परमपिता परमेश्वर की ओर अग्रसर होने लगता है। इन सात चक्रों को जाग्रत करने के लिए नित्य प्रत्येक व्यक्ति को ध्यान करना चाहिए। जिससे आपके सभी चक्र साफ होकर जाग्रत होने लगते है । ध्यान व्यक्ति को उच्च शिखर पर ले जाता है एवं व्यक्ति निरोगी हो जाता है 

1. मूलाधार चक्र

यह सबसे नीचे है। रीढ़ की हड्डी के शुरू यानी गुदा द्वार के पास। सबसे पहले ध्यान को यहीं लाया जाता है। यह त्रिकोण रूप में है और कुण्डलिनी शक्ति यहीं बैठती है। इसमें चार योग नाड़ियां हैं, जिन्हें कमल की पंखुड़ियों की तरह दिखाया है। यहां पीले रंग में पृथ्वी तत्व है, जो गंध का काम करता है। यहां देव रूप में गणेश विराजमान हैं। इसकी देवी हैं डाकिनी। इस चक्र में ब्रह्मग्रंथी है। यह भू-लोक को इंगित करता है। सब चक्रों के बीज अक्षर होते हैं। इस चक्र का बीज अक्षर 'लं' है। मूलाधार चक्र का भेदन करने वाला पृथ्वी तत्व पर विजय पा लेता है।

2. स्वाधिष्ठान चक्र

यह जननेंद्रियों के पास है। इसमें छह योग नाड़ियां हैं। सफेद रंग में जल तत्व है, जो रस या स्वाद का काम करता है। यहां देव रूप में ब्रह्मा विराजमान हैं। इसकी देवी हैं राकिनी। यह भूव्र लोक को इंगित करता है। बीज अक्षर 'वं' है। इस चक्र पर ध्यान करने वाले को जल से किसी तरह का भय नहीं रहता। उसे कई सिद्धियां और इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त हो जाता है। काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, ईर्ष्या और अन्य दुर्गुण दूर हो जाते हैं।

3. मणिपूर चक्र

यह नाभि में है। इसमें 10 योग नाड़ियां हैं। लाल रंग में अग्नि तत्व है, जिसका काम है रूप यानी दृष्टि। यहां विष्णु विराजमान हैं।  इसकी देवी हैं लाकिनी। यह स्व: यानी स्वर्ग लोक को दर्शाता है। इस चक्र का बीज अक्षर है 'रं'। इस पर जो ध्यान करता है, उसे पाताल सिद्धि प्राप्त होती है। वह सभी रोगों से मुक्त रहता है। आग का भय नहीं रहता। घेरंड संहिता में लिखा है कि उसे आग में फेंक दिया जाए तो भी मौत उसे छू नहीं सकती।

4. अनाहत चक्र

यह दिल के पास है। इसमें 12 योग नाड़ियां हैं। धुंध रूप में वायु तत्व है, जो स्पर्श का काम करता है। यहां देव रूप में शिव विराजते हैं। इसकी देवी हैं काकिनी। यह महालोक को इंगित करता है। बीज अक्षर 'यं' है। इसमें विष्णु ग्रंथि है। इससे दिल पर नियंत्रण होता है। इस चक्र पर ध्यान करने से आनंद महसूस होगा और ईष्ट देवों के दर्शन होंगे।

5. विशुद्ध चक्र

यह चक्र कण्ठ यानी गर्दन में है। इसमें 16 योग नाड़ियां हैं। नीले रंग में आकाश तत्व है। इसका काम है शब्द यानी सुनना। यहां देव रूप में महेश्वर सदाशिव हैं और इसकी देवी हैं शाकिनी। यह जनह लोक को इंगित करता है। इसका बीज अक्षर है 'हं' है। मन के और शुद्ध होने से, ध्यान और लगन गहरी होने से साधक विशुद्ध चक्र को खोल सकता है। इससे और अधिक शक्ति और आनंद का आभास होगा। इतनी शक्ति मिलेगी कि प्रलय भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। साधक त्रिकाल ज्ञानी हो जाता है। उसे चारों वेदों का ज्ञान हो जाता है। लेकिन संभव है कि यहां तक पहुंचकर भी प्राण शक्ति नीचे आ जाए।

6. ज्ञान चक्र

दोनों आंखों के बीच यानी भृकुटी में ज्ञान चक्र है। इसमें योग नाड़ियां केवल दो हैं। बिना किसी रंग में यहां मानस तत्व होता है। संकल्प और विकल्प इसी से जन्म लेते हैं। यहां देव रूप में सदाशिव शंभूनाथ हैं और इसकी देवी हाकिनी हैं। यह तपो लोक को इंगित करता है। इसमें रुद्र ग्रंथि है। इस चक्र का बीज अक्षर 'ऊं' है। जब साधक यहां पहुंचता है, तो वह समाधि की अवस्था में चला जाता है। इससे उसे ब्रह्म यानी परमात्मा की अनुभूति होती है। वह अपने पूर्वजन्मों के सब कर्म यहां नष्ट कर सकता है। उसे सभी 8 प्रमुख और 32 सूक्ष्म सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है।

7. सहस्रार चक्र

कुण्डलिनी योग में यह चक्र ही संपूर्ण समाधि दिलाता है। यह सिर के शीर्ष पर है। इसमें 1000 योग नाड़ियां हैं। सुषुम्ना नाड़ी ही यहां तक पहुंचती है। वह एक-एक चक्र को जगाते हुए सबसे आखिर में इस चक्र को जगाती है। यहां पहुंचकर जो अनुभव होता है, वह वर्णन से परे है। यहीं निर्विकल्प समााधि यानी सुपरकॉन्सेसनेस मिलती है। कुण्डलिनी परमात्मा से मिल जाती है।

Recently Posted

Our Business Associates


Our NEWS/Media Associate


Get your Account / Listing


Here we come up with a choice for you to choose between these two type of accounts : Personal(non business) Account and Business Account. Each account has its own features, read and compare for better understanding. This will help you in choosing what kind of account you need to register with us.


Personal / Non Business Account

In this account type you can do any thing as individual
like wall post, reviews business etc...

Join

Commercial / Business Account

In this account type you can promote your business with all posibilies
and wall post, reviews other business etc...

Join