तुलसी विवाह का महत्व
तुलसी विवाह का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस अनुष्ठान को करने से कई लाभ मिलते हैं, जिनमें शामिल हैं:
सुख और समृद्धि की प्राप्ति: तुलसी विवाह करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
वैवाहिक जीवन में खुशहाली: तुलसी विवाह करने से अविवाहित कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है और विवाहित दंपतियों के वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।
संतान प्राप्ति की कामना: निःसंतान दंपतियों के लिए तुलसी विवाह करने से संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है।
पितृ दोष से मुक्ति: पितृ दोष से मुक्ति के लिए भी तुलसी विवाह करना लाभकारी माना जाता है।
तुलसी विवाह की पूजा सामग्री :तुलसी विवाह की पूजा सामग्री में निम्नलिखित शामिल है
तुलसी का पौधा ,शालिग्राम या कोई अन्य पत्थर का प्रतिमा,लाल वस्त्र ,हल्दी, कुमकुम और सिंदूर ,चावल, बताशे और मिठाई ,कपूर ,दीपक ,गंगाजल,पान के पत्ते और सुपारी
तुलसी विवाह की पूजा विधि : तुलसी विवाह की पूजा विधि सरल है। सबसे पहले तुलसी के पौधे को स्नान कराकर साफ और सुंदर कपड़े में लपेटकर मंडप में स्थापित करें। फिर शालिग्राम या अन्य पत्थर की प्रतिमा को तुलसी के पौधे के पास रखें। दोनों पर हल्दी, कुमकुम और सिंदूर लगाएं। इसके बाद चावल, बताशे और मिठाई का भोग लगाएं। कपूर जलाएं और दीपक जलाएं। गंगाजल छिड़कें और पान के पत्ते और सुपारी अर्पित करें। अंत में तुलसी माता और भगवान शालिग्राम की आरती करें।
तुलसी विवाह के बाद क्या करें?
तुलसी विवाह के बाद तुलसी माता और भगवान शालिग्राम को घर के मंदिर में स्थापित करें। रोज सुबह-शाम उनकी पूजा करें। तुलसी के पत्ते तोड़कर भगवान को अर्पित करें। तुलसी की जड़ में नियमित रूप से जल अर्पित करें। तुलसी माता और भगवान शालिग्राम की कृपा से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली बनी रहेगी।
निष्कर्ष :
तुलसी विवाह एक शुभ और कल्याणकारी अनुष्ठान है। इस अनुष्ठान को करने से कई लाभ मिलते हैं। जो भगवान विष्णु के अवतार शालिग्राम और पवित्र तुलसी के पौधे तुलसी के दिव्य मिलन का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि यह शुभ समारोह इसे मनाने वालों के लिए समृद्धि, खुशी और वैवाहिक सद्भाव का आशीर्वाद लाता है। तुलसी विवाह करके, भक्त प्रेम, समृद्धि और आध्यात्मिक ज्ञान से भरे पूर्ण जीवन के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।