तुलसी पूजन दिवस: पवित्र पत्तियों का पावन उत्सव (Tulsi Pujan Diwas: The Holy Festival of the Sacred Leaves)
तुलसी, जिसे 'पवित्र पौधा' या 'पवित्र तुलसी' के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। तुलसी का पौधा न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी सर्वविदित हैं। तुलसी पूजन दिवस तुलसी माता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके आशीर्वाद पाने का दिन है। इस दिन घरों में तुलसी के पौधों की विशेष पूजा की जाती है, जिसमें मंत्रों का उच्चारण, तुलसी को तिलक लगाना और दीप प्रज्जवलन शामिल होता है।
भारतीय संस्कृति में तुलसी का स्थान सर्वोच्च है। तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को अति प्रिय है और माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। तुलसी के पत्तों में औषधीय गुणों का खजाना होता है, जो सर्दी, जुकाम, बुखार और कई अन्य बीमारियों में रामबाण का काम करते हैं। तुलसी पूजन दिवस मनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। इस दिन घरों में सुबह से ही धूमधाम से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। तुलसी के पौधों को स्नान कराया जाता है, उन पर नए वस्त्र चढ़ाए जाते हैं और रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है। फिर श्रद्धालु भक्त मंत्रों का उच्चारण करते हुए तुलसी की पूजा करते हैं, उन्हें तिलक लगाते हैं और दीप प्रज्जवलित करते हैं। पूजा के बाद प्रसाद चढ़ाया जाता है और तुलसी की आरती उतारी जाती है।
तुलसी पूजन दिवस न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देता है। तुलसी का पौधा वायु को शुद्ध करता है और वातावरण को स्वस्थ बनाए रखता है। इस दिन लोग नए तुलसी के पौधे लगाकर पर्यावरण के प्रति अपनी जागरूकता का भी प्रदर्शन करते हैं।
हिमाचल प्रदेश में तुलसी पूजन दिवस को खास उत्साह के साथ मनाया जाता है। यहां के पहाड़ी इलाकों में तुलसी के पौधे घरों के आंगनों में ही नहीं, बल्कि मंदिरों और देवालयों में भी पूजे जाते हैं। इस दिन कई जगहों पर तुलसी महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें तुलसी के पौधों का वितरण, भजन-कीर्तन और प्रवचन का आयोजन किया जाता है।
निष्कर्ष:
तुलसी पूजन दिवस धार्मिक आस्था, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सद्भावना का प्रतीक है। यह दिन हमें तुलसी माता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके आशीर्वाद पाने का अवसर प्रदान करता है। साथ ही, यह दिन हमें पर्यावरण की रक्षा करने और स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा भी देता है। हिमाचल प्रदेश के सुरम्य वातावरण में मनाया जाने वाला तुलसी पूजन दिवस न केवल पहाड़ों की खूबसूरती को बढ़ाता है, बल्कि लोगों के दिलों में भी खुशियों और उम्मीदों का संचार करता है।