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 क्यों मनाया जाता है सैर  का पर्व और क्या है इसका महत्व ?

हिमाचल प्रदेश अपनी समृद्ध संस्कृति, विभिन्न मेले, उत्सव और त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है। ये सारे त्योहार जहां हम सबको हमारे अपनो से जोड़े रखने का काम करते हैं, हिमाचल में यूं तो साल भर बहुत से त्योहार मनाए जाते हैंत्योहार के तौर पर मनाया जाता है। क्रमानुसार भारतीय देशी महीनों के बदलने और नए महीने के शुरू होने के प्रथम दिन को संक्रांति कहा जाता है। 17 सितम्बर यानी आज रविवार अश्विन महीने की सक्रांति को काँगड़ा , मण्डी , हमीरपुर , बिलासपुर और सोलन सहित अन्य कुछ जिलो में सैरसायर का त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है,

हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है लेकिन हिमाचल को मेलों-त्योहारों का प्रदेश भी कहें तो गलत नहीं होगा क्योंकि हिमाचल में लगातार त्योहार मेले चलते रहते हैं। हिमाचल प्रदेश अपनी संस्कृति, मेलों और त्यौहारों के मामले में पहले से ही बहुत प्रसिद्ध है। पूरे साल हिमाचल प्रदेश में विभिन्न मौसमीं मेले लगाए जाते हैं।  सैर  मेला एक ऐसा मेला है जो हिमाचल को गर्व प्रदान करता है। अर्की सैर  मेला का हर साल सितंबर माह की अश्विन संक्रांति के दिन मनाया जाता है। इस बार यह तीन दिवसीय मेला 17 से 19 सितंबर तक आयोजित किया जा रहा है।  सैर  मेला मक्का पकने की खुशी में मनाई जाती है। किसान इस दिन मक्की चखना/काटना शुभ मानते हैं। सायर त्योहार काला महीना खत्म होने बाद संक्रांति के दिन से शुरू होता है। यह मेला हिमाचल की संस्कृति एवं सभ्यता को जानने का एक अच्छा अवसर है

सैर या सायर का पर्व हिमाचल प्रदेश का एक प्रसिद्ध त्योहार है, जो आश्विन माह की संक्रांति के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार किसानों की खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन लोग अनाज की पूजा करते हैं और अपने प्रियजनों से मिलते हैं।सायर का पर्व हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों में मनाया जाता है, लेकिन मंडी, कुल्लू और सोलन जिलों में यह त्योहार सबसे धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर साफ कपड़े पहनते हैं और फिर पूजा करने के लिए मंदिर जाते हैं। मंदिर में लोग अनाज की पूजा करते हैं और भगवान से खुशहाली और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।

सैर के पर्व का महत्व :

 सैर  का पर्व हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार उनकी समृद्धि और संस्कृति का प्रतीक है। इस दिन लोग अनाज की पूजा करते हैं और अपने प्रियजनों से मिलते हैं।  सैर का पर्व लोगों को एक साथ लाता है और उनमें खुशी और प्रेम का संचार करता है।

सैर के पर्व की परंपराएं

सैर के पर्व की कई परंपराएं हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

अनाज की पूजा:  सैर के दिन लोग अपने घरों में अनाज की पूजा करते हैं। इस दिन लोग अनाज से बने व्यंजन बनाते हैं और उन्हें भगवान को अर्पित करते हैं।

दुर्वा देना:  सैर के दिन लोग अपने बड़ों को दुर्वा देते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। दुर्वा एक प्रकार की घास है, जिसे हिमाचल प्रदेश में बहुत पवित्र माना जाता है।

राखी आज ही उतारी जाती है: इस पूजा के दौरान ही रक्षाबंधन पर कलाई में बांधी गई राखी भी खोली जाती है और टोकरी पर अर्पित की जाती है।

नृत्य और संगीत:  सैर के दिन लोग नृत्य और संगीत करके अपनी खुशी का इजहार करते हैं। हिमाचल प्रदेश के लोक नृत्य और संगीत बहुत लोकप्रिय हैं और  सैर के पर्व पर इनका विशेष महत्व होता है।

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