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कलावे का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व

कलावा तीन धागों से मिलकर बना हुआ होता है. आमतौर पर यह सूत का बना हुआ होता है। इसमे लाल पीले और हरे या सफेद रंग के धागे होते हैं।यह तीन धागे त्रिशक्तियों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के प्रतीक माने जाते हैं।

हिन्दू धर्म में इसको रक्षा के लिए धारण किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो कोई भी विधि विधान से रक्षा सूत्र या कलावा धारण करता है उसकी हर प्रकार के अनिष्टों से रक्षा होती है।

कलावे को मौली भी कहा जाता है।   मौली' का शाब्दिक अर्थ है 'सबसे ऊपर'  मौली का तात्पर्य सिर से भी है   मौली को कलाई में बांधने के कारण इसे कलावा भी कहते हैं इसका वैदिक नाम उप मणिबंध भी है

  शंकर भगवान के सिर पर चन्द्रमा विराजमान हैं, इसीलिए उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है

 मौली कच्चे धागे से बनाई जाती है। इसमें मूलत: 3 रंग के धागे होते हैं- लाल, पीला और हरा, लेकिन कभी-कभी ये 5 धागों की भी बनती है , जिसमें नीला और सफेद भी होता है

 3 और 5 का मतलब कभी त्रिदेव के नाम की, तो कभी पंचदेव।

 कलावा बांधने से त्रिदेव, ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है

  ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति विष्णु की अनुकंपा से रक्षा बल मिलता है

  शिव दुर्गुणों का विनाश करते हैं।

मौली यानी रक्षा सूत्र शत प्रतिशत कच्चे धागे ,सूत, की ही होनी चाहिए। मौली बांधने की प्रथा तब से चली आ रही है जब दानवीर राजा बलि के लिए वामन भगवान ने उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था।

कलाई पर इसको बांधने से जीवन में आने वाले संकट से यह आपकी रक्षा करता है। वेदों में भी इसके बारे में बताया गया है कि जब वृत्रासुर से युद्ध के लिए इंद्र जा रहे थे तब इंद्राणी ने इंद्र की रक्षा के लिए उनकी दाहिनी भुजा पर रक्षासूत्र बांधा था। जिसके बाद वृत्रासुर को मारकर इंद्र विजयी बने और तभी से यह परंपरा चलने लगी।

हाथ में मौली या कलावा बांधने के लिए हिंदू धर्म में कई ऐसी विशेष बातें हैं जिनके बारे में बेहद सतर्कता बरतनी बेहद जरूरी है—

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के समय में हाथ में कलावा बांधने का एक विशेष महत्व है। 

 इसे हर पूजा के कार्य में शुभ माना जाता है। 

 इसके रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। अनजाने में आप रोज कर रहे हैं इस तरह के पाप कलावे के साथ जहां कई मान्यताएं जुड़ी हैं वहीं इसके साथ अनेक वैज्ञानिक तर्क भी बताए गए हैं। 

लेकिन अक्सर लोग कलावा तो बंधवा लेते हैं। लेकिन इसे कब बदलना चाहिए या फिर कब तोड़ना चाहिए इसके बारे में शायद ही जानते हों। जिसके चलते वह किसी भी दिन इसे तोड़ देते हैं जिसका व्यक्ति के पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इसलिए इसे पुराना होने से पहले तोड़ने से पहले कुछ शुभ-अशुभ बातें जानना बेहद जरूरी है। 

 इस कलावे को किसी भी दिन नहीं बदला जा सकता। इसे  मंगलवार और शनिवार के दिन ही बदलना या तोड़ना चाहिए क्योंकि यह दिन सबसे शुभ माना जाता है।    

 अक्सर पुरुषों और महिलाओं में यह दुविधा होती है कि कलावा किस हाथ में रखना चाहिए। इसलिए पुरुषों और अविवाहित लड़कियों को दाहिने हाथ में और विवाहित स्‍त्री को बाएं हाथ पर कलावा बंधवाना चाहिए। 

 यह भी ध्यान रहे कि कलावा बंधवाते समय मुठ्ठी खाली न हो। 

 हनुमान चालीसा की ये चौपाइयां खोलती हैं तरक्की के रास्ते - कलावे को बांधते समय तीन बार लपेटना चाहिए। 

⚜️पांच रंगों वाले कलावे को बांधना बेहद ही शुभ रहता है। इसे पंचदेव कलावा भी कहते हैं।  

 स्वास्थ्य के अनुसार रक्षा सूत्र बांधने से कई बीमारियां दूर होती है। जिसमें कफ, पित्त आदि शामिल है। शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण हाथ की कलाई में होता है अतः यहां रक्षा सूत्र बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। ऐसी भी मान्यता है कि इसे बांधने से बीमारी अधिक नहीं बढती है। ब्लड प्रेशर, हार्ट एटेक, डायबीटिज और लकवा जैसे रोगों से बचाव के लिये मौली बांधना हितकर बताया गया है।

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