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राम मंदिर के में प्राण-प्रतिष्ठा

देशभर में अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर उत्साह का माहौल है। लंबे समय के इंतजार के बाद कल यानी 22 जनवरी 2024 को बेहद शुभ संयोग में राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान शुरू होगा। इससे पहले 16 जनवरी से मंदिर में अनुष्ठान शुरू हो चुके हैं। अयोध्या की पावन भूमि पर भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए सोमवार को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से लेकर 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक यानी सिर्फ 84 सेकंड का शुभ मुहूर्त है,

प्राण प्रतिष्ठा क्या होती है : पिछले कुछ दिनों से 'प्राण प्रतिष्ठा' शब्द के बारे में काफी सुनने को मिल रहा है। लेकिन ज्यादातर लोग इस बारे में नहीं जानते होंगे कि असल में प्राण प्रतिष्ठा होती क्या है और इसे क्यों किया जाता है। धर्म गुरुओं की मानें तो मूर्ति स्थापना के समय प्रतिमा रुप को जीवित करने की विधि को प्राण प्रतिष्ठा कहते हैं। जिसमें प्राण शब्द का अर्थ जीवन शक्ति से होता है तो प्रतिष्ठा का मतलब स्थापना है। इस तरह से प्राण प्रतिष्ठा का मतलब हुआ जीवन शक्ति की स्थापना करना। 

पंडित सुजीत जी महाराज अनुसार सर्वप्रथम जिस देवी देवता की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। उसे गंगा जल व कम से कम 05 पवित्र नदी के जल से स्नान करवाते हैं। फिर साफ वस्त्र से मूर्ति को पोछते हैं। फिर प्रतिमा को नवीन वस्त्र धारण करवाते हैं। फिर मूर्ति को आसन पर विराजमान करके चंदन का लेप लगाते हैं। इसके बाद उसका विधिवत श्रृंगार होता है और निहित मंत्रोचार के बाद विधिवत शास्त्रवत वर्णित विधि से प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। प्राण प्रतिष्ठा के पहले उस मूर्ति का नगर में विधिवत यात्रा होती है। यह एक सामान्य विधि है। इसमें ज्योतिष व कर्मकांड के विद्वान पूरे नियम से प्राण प्रतिष्ठा करते हैं। भगवान का भोग लगाते हैं। हर देवता का पुष्प, अकच्छत, भोग अलग अलग होता है।



प्राण प्रतिष्ठा के लिए बनाए जा रहे हैं मंडप और हवन कुंड (Mandap and Havan Kund for Pran Pratishtha) :

प्राण प्रतिष्ठा के लिए 2 मंडपों और 9 हवन कुंडों का निर्माण किया गया है। जिनके माध्यम से प्राण प्रतिष्ठा की जाएगा। सनातन परंपरा में किसी मंदिर में देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा का बड़ा महत्व है। प्राण प्रतिष्ठा के द्वारा देवताओं की मूर्तियों (statues of gods) को जीवंत किया जाता है। ताकि मूर्तियों में भगवान का वास हो। बिना प्राण प्रतिष्ठा के कोई भी मूर्ति मंदिर में नहीं रखी जाती। प्राण प्रतिष्ठा के लिए सही तिथि और सही मुहूर्त का होना बेहद अनिवार्य है।

प्राण प्रतिष्ठा का महत्व  : प्राण प्रतिष्ठा के बिना की मूर्ति की पूजा नहीं की जा सकती है। जिस भी देवता या भगवान की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है,यह भगवान के साकार स्वरूप की उपासना का सर्वोत्तम उपाय है। मंदिरों में भगवान की प्रतिमा रखने से पहले उसकी आत्मा की पूजा करनी चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से मूर्ति पूजनीय होती है और उसे जीवन मिलता है।

वाराणसी के पंडित कराएंगे प्राण प्रतिष्ठा (Pundits of Varanasi will perform life consecration) :

प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी 2024 को पीएम नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में सम्पन्न होगा। वाराणसी से आए वैदिक आचार्य रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराएंगे। जिसमें 121 विद्वान पंडितों की टीम हिस्सा लेगी। पंडितों ने बताया है कि मंदिरों में श्रीराम यंत्र (Shri Ram Yantra) की प्रतिष्ठा भी की जाएगी।


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